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बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा मगर तुम्हें तो दूसरो

बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा
मगर तुम्हें तो दूसरों की जिंदगी में झांकना है।

खुद पर गिरी तीन उंगलियां नजर नहीं आती,
मगर,तुमको तो दूसरो पर उंगली तानना है।

सबके पीठ पीछे करते करते हो बुराई,
ख़ुद की भी एक अदद पीठ है ,
ऐसा क्यों भूल जाते हो भाई।

खुद के लिए हो कूप मंडूक,
मगर, दूसरों को सुधारने के लिए
सामाजिक क्यों बन जाते हो भाई।

खुद को आधुनिक घोषित करने के लिए
परंपराओं की उड़ाते हो धज्जियां,
मगर, दूसरो को तुम पारिवारिक
और नैतिक नियम क्यों सिखाते हो भाई।

ये जिंदगी जिसकी है ,
उसी को जीने दो,
उसकी जिंदगी के ज़ख्म
उसी को सीने दो।
उसको उबरना है ,उबरेगा।
सुधरना है, सुधरेगा।
संवरना है,संवरेगा।
डूबना है, डूबेगा।
उभरना है,उभरेगा।

बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा।।
बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा।।

डियरCOMRADE

©Ankur Mishra बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा
मगर तुम्हें तो दूसरों की जिंदगी में झांकना है।

खुद पर गिरी तीन उंगलियां नजर नहीं आती,
मगर,तुमको तो दूसरो पर उंगली तानना है।

सबके पीठ पीछे करते करते हो बुराई,
ख़ुद की भी एक अदद पीठ है ,
बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा
मगर तुम्हें तो दूसरों की जिंदगी में झांकना है।

खुद पर गिरी तीन उंगलियां नजर नहीं आती,
मगर,तुमको तो दूसरो पर उंगली तानना है।

सबके पीठ पीछे करते करते हो बुराई,
ख़ुद की भी एक अदद पीठ है ,
ऐसा क्यों भूल जाते हो भाई।

खुद के लिए हो कूप मंडूक,
मगर, दूसरों को सुधारने के लिए
सामाजिक क्यों बन जाते हो भाई।

खुद को आधुनिक घोषित करने के लिए
परंपराओं की उड़ाते हो धज्जियां,
मगर, दूसरो को तुम पारिवारिक
और नैतिक नियम क्यों सिखाते हो भाई।

ये जिंदगी जिसकी है ,
उसी को जीने दो,
उसकी जिंदगी के ज़ख्म
उसी को सीने दो।
उसको उबरना है ,उबरेगा।
सुधरना है, सुधरेगा।
संवरना है,संवरेगा।
डूबना है, डूबेगा।
उभरना है,उभरेगा।

बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा।।
बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा।।

डियरCOMRADE

©Ankur Mishra बस तुम खुद को देख लो तो अच्छा
मगर तुम्हें तो दूसरों की जिंदगी में झांकना है।

खुद पर गिरी तीन उंगलियां नजर नहीं आती,
मगर,तुमको तो दूसरो पर उंगली तानना है।

सबके पीठ पीछे करते करते हो बुराई,
ख़ुद की भी एक अदद पीठ है ,