सुन सांविधान के निर्माता बतलाऊ तेरी खबर जमाने को ना जाने कितने दुःख सहे होंगे हमें आजाद कराने को दर दर ठोकर खाते थे हम मनुवाद से डरते थे दिन का पता ना रात की खबर हम उनकी गुलामी करते थे उनका पानी भरते थे एक टाइम की रोटी खाने को ना जाने कितने दुख सहे होंगे हमें आजाद कराने को सुन संविधान के निर्माता बतलाऊं तेरी खबर जमाने को ना जाने कितने दुख से होंगे हमें आजाद कराने को जय भीम। जय भारत। जय भीम दोस्तो