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मजदूर दिवस विशेष जो मेहनत के बाद थक कर हो जाता है

मजदूर दिवस विशेष

जो मेहनत के बाद थक कर हो जाता है चूर,
उस सीधे साधे मानव को कहते है मजदूर।

जो हासिल करके तजुर्बा नहीं होता मगरूर,
उस कर्मठता के कर्मयोगी को कहते है मजदूर।

जो विकास के अनेकों दावों से है कोसों दूर,
ऐसे विकसित बलशाली को कहते है मजदूर।

जो हर हाल ऊर्जा समाये रहता है भरपूर,
ऐसे जुझारू इंसान को कहते है मजदूर।

जो पसीने से लथपथ रहकर भी लगे है नूर,
ऐसे आभा कांति वालों को कहते है मजदूर।

कवि आनंद दाधीच 'दधीचि', भारत

©Anand Dadhich #workmenday #Labourday #majdoordiwas #kaviananddadhich #poetananddadhich
मजदूर दिवस विशेष

जो मेहनत के बाद थक कर हो जाता है चूर,
उस सीधे साधे मानव को कहते है मजदूर।

जो हासिल करके तजुर्बा नहीं होता मगरूर,
उस कर्मठता के कर्मयोगी को कहते है मजदूर।

जो विकास के अनेकों दावों से है कोसों दूर,
ऐसे विकसित बलशाली को कहते है मजदूर।

जो हर हाल ऊर्जा समाये रहता है भरपूर,
ऐसे जुझारू इंसान को कहते है मजदूर।

जो पसीने से लथपथ रहकर भी लगे है नूर,
ऐसे आभा कांति वालों को कहते है मजदूर।

कवि आनंद दाधीच 'दधीचि', भारत

©Anand Dadhich #workmenday #Labourday #majdoordiwas #kaviananddadhich #poetananddadhich