कितना अज़ीब होता हैं न ख़ुद को उन पलों में सम्भलना, जहाँ अंदर टेंशन की दीवार होती हैं और बाहर फ़ीकी तबस्सुम सी हज़ार होती हैं। Nishu Maurya... #kaid ek awaz... #fiki tabsuum... #kaid ek awaz