ओढ़ के ओढ़नी तेरे नाम की पिया, मैं तो तेरी सुहागन बनी, लेकर अग्नि के सामने सात फेरा मैं, मैं तो तेरी पुजारन बनी। कभी ना टूटे अपना ये बंधन, मैं तो मांगू बस तेरा ही सम्बन्ध, रहूं जन्मों जन्म तक संग तुम्हारे, बस तुम्हारी ही जोगन बनी।। 🌝प्रतियोगिता- 05 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"ओढनी तेरे नाम की" 🌷 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें। 🌟 इस रचना में आपको सिर्फ़ 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं, 4 पंक्तियों से कम या ज़्यादा में लिखी हुई रचना प्रतियोगिता में मान्य नहीं होगी।