कुछ सवाल सिर्फ सवाल ही होते है। मैं नहीं जानती कि मैं क्या लिखती हूं! अक्सर मैं लोगों को अपनी उम्र बताना टालती हूं! जब कभी कोई मुझसे पूछता है कि मेरी उम्र क्या है? तब उसे अंत में मजबुर होकर बतानी ही पड़ती है,एकआध बार मैंने ख़ुद से भी बताई होगी वो अलग बात। लोग मुझे पढ़ते है कि नहीं ये मुझे नहीं पता,लोग मुझे पढ़े ही यही मेरी आकांक्षा नहीं है और मैं सच में क्या लिखती हूं या लिखती हूं भी या नहीं मुझे नहीं पता। जब लोग मेरी उम्र जान लेते है तब कुछ लोग बोलते है कि "तुम अपनी उम्र से ज्यादा बड़ी हो गई हो" और फिर मैं दिन भर इसी सोच में