हर ज़ख्म भर जाता है वक्त की मरहम से स़ब्र रख स़ब्र से बड़ा कोई सहारा नहीं होता बिना किनारे के कोई दरिया कोई धारा नहीं होता ©Vaibhav Kumresh हर #ज़ख्म भर जाता है वक्त की मरहम से स़ब्र रख स़ब्र से बड़ा कोई सहारा नहीं होता बिना #किनारे के कोई दरिया कोई धारा नहीं होता