#OpenPoetry ये भी क्या कश्मकश है। एक कहता था, तू ज़बरदस्ती करती है मेरे साथ वक़्त गुज़ारने के लिए। और दूसरा कहता है, मैं चाहता हूं, तू ज़बरदस्ती करे मेरे साथ वक़्त गुज़ारने के लिए। वक़्त- वक़्त की बात।