गालिब वो दौर अब रहा नहीं, कि हसरतों को एक मकाम मिल जाए। ख्वाहिश मेरी बस इतनी सी है, बस रहने को एक मकान मिल जाए।। ©Diwan G #मकान #मकाम #दौर #माहर_हिंदीशायर