*📝“सुविचार"*📚 ✨ *3/9/2021* 🖊️ *“शुक्रवार”* दो प्रकृतिक वेग होते है पहली है “वर्षा”...जो बरसती है और इस “धरा” को “शीतल” कर जाती है, और “नई फसल” उगाती है, और दूसरा होता है “पवन” जो सदैव हमें “श्वास” प्रदान करता है,इस “मन को शांति” प्रदान करता है,और इस “शरीर” में “स्फूर्ति” भर देता है, अब “जीवन” में जो “भाव” होते है, जो होने चाहिए इस “वर्षा की भांति” या इस “पवन की भांति, “क्रोध”,“मतभेद”,“विवाद” ये सब होने चाहिए इस “वर्षा” की भांति,अर्थात कुछ समय पश्चात ये “छिन्न भिन्न” होकर चले जाने चाहिए, और यदि “वायु की भांति” कोई “भाव” होना चाहिए तो वो है “प्रेम”, जो सदैव हमें “श्वास” प्रदान करें,सदैव साथ रहें,ये हमें अनुभव करने के लिए “प्राणवायु” प्रदान करें, और “चक्रवात” की भांति “आंदोलन” पर उतर आए तो “समस्त संसार” को ही बदल दे,इसका “सार” एक ही है, ये “शक्ति”,“मतभेद”,“क्रोध”, विवाद में नहीं है,शक्ति यदि है तो वो है “प्रेम” में,तो इस “प्रेम” को “मन” में अवश्य रखिए... *🖋️*अतुल शर्मा✨* ©Atul Sharma *📝“सुविचार"*📚 ✨ *3/9/2021*🖋️ 🖊️ *“शुक्रवार”*📘 #“प्रकृतिक वेग” #“वर्षा”