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हो जाती है ख़ामोश कलम भी कभी _२लिखते हुए हाँ, शाय

हो जाती है ख़ामोश कलम भी कभी _२लिखते हुए 
हाँ, शायद उसने भी अंतर्निहित भाव को 
महसूस किया है 
यकायक जो परिवर्तन जीवंत हुए हैं सामने उसके 
कवियों के मन की व्यथा और भावों को 
सर्वदा उसने ही तो उजागर किया है|
#स्वाति की कलम से ✍️

©swati soni
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