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देवियाँ देश की पहचान चल सकती नहीं अपना सी





देवियाँ देश की पहचान
चल सकती नहीं अपना सीना तान
डरी सहमी रहती सुबह शाम
मिलता नहीं उसे क्यों मान ?

अबलाएं देती हैं बलिदान
सीता भी पाती नहीं सम्मान
बेटी जिस परिवार में निर्भयता गुमनाम
घर की इज़्ज़त है क्यों वीरान ?

हवसी भेड़ियों की देखो शान
करते अपना जो गुणगान
बनते दिनों दिन ऐयाशवान
उन दरिंदों का क्या ईमान ?

बेटी की पिता का छोटी जान
बेटी पालन करती हर फरमान
इज्ज़त लूटने पर देती है जान
क्या यही रहा मासूमियत का काम ?

नारी रूप दुर्गा समान
करुणा ममता की खान
घुटती रहती अबला जान
कब लेगी वो इन्तकाम ?

'निशीथ' सोच सोच मन पढेसान
देख रोज अखबार में लुटती देश का मान ?
कब जागेगा स्त्रीत्व की शक्ति और सम्मान ?
कब कहलायेगा देवी रूपेण देश महान ?
@निशीथ🤔

©Nisheeth pandey
  #womanequality 

देवियाँ देश की पहचान
चल सकती नहीं अपना सीना तान
डरी सहमी रहती सुबह शाम
मिलता नहीं उसे क्यों मान ?

अबलाएं देती हैं बलिदान

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