रोज शाम में टूटते सूरज की तरह, मेरी रूह की गहराई में उतरती रही है वो । कहती रही है इश्क है हरदफ़ा, हर दफा मुकरती रही है वो ।। जब से गुरुर हुआ उन्हें हमारी यारी पर, हमे बार बार तन्हा करती रही है वो।।। #रूहानी_इश्क #मुकरना #गुरूर #रूह_की_गहराई #nojotopoem