मैं हजारों शब्द लिखकर मिटा चुकी हूँ अपनी व्यथा से खुद आप ही उकता चुकी हूँ। ख्यालों के बबंडर से कितना भी गुज़र लूँ मैं पीड़ा की परिधि तक पहुंचकर ही घबरा चुकी हूँ। खुले आसमाँ के नीचे भी घुट रही हूँ उफ्फ्फ कितनी जलन है, मैं फिर एक बार,किसी रूप में जलाई जा चुकी हूँ। #hyderabadcase