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भगवद गीता (अध्याय 3, श्लोक 19) "या वस्तु प्रिया

भगवद गीता 
(अध्याय 3, श्लोक 19)

 "या वस्तु प्रियास्ति च या यत् प्राप्यं मनसि धृते।
निष्ठया साध्यते तस्य मार्गेऽपि विघ्नेषु धैर्यवान्।।
प्रथमं सत्येन योद्धव्यम्, न सिध्यति चेत् पुनः।
सर्वैः उपायैः साध्यं तत्, यत्नं कर्तव्यम् अन्तकात्।।" 

अर्थ:
जिस वस्तु को तुम प्रिय मानते हो और जिसे प्राप्त करना चाहते हो, उसे सच्ची निष्ठा से पाने की कोशिश करो। मार्ग में यदि कोई विघ्न आए तो पहले सत्य और सरलता से उसे प्राप्त करो। यदि फिर भी सफलता न मिले, तो सभी उपायों से उसे प्राप्त करो। लेकिन प्रयास अंतिम सांस तक नहीं छोड़ना चाहिए।

नमः भोलेकृष्ण

©Sanjeev Thakur #Shiva #Love #pyaar
भगवद गीता 
(अध्याय 3, श्लोक 19)

 "या वस्तु प्रियास्ति च या यत् प्राप्यं मनसि धृते।
निष्ठया साध्यते तस्य मार्गेऽपि विघ्नेषु धैर्यवान्।।
प्रथमं सत्येन योद्धव्यम्, न सिध्यति चेत् पुनः।
सर्वैः उपायैः साध्यं तत्, यत्नं कर्तव्यम् अन्तकात्।।" 

अर्थ:
जिस वस्तु को तुम प्रिय मानते हो और जिसे प्राप्त करना चाहते हो, उसे सच्ची निष्ठा से पाने की कोशिश करो। मार्ग में यदि कोई विघ्न आए तो पहले सत्य और सरलता से उसे प्राप्त करो। यदि फिर भी सफलता न मिले, तो सभी उपायों से उसे प्राप्त करो। लेकिन प्रयास अंतिम सांस तक नहीं छोड़ना चाहिए।

नमः भोलेकृष्ण

©Sanjeev Thakur #Shiva #Love #pyaar