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सोचना जरूर, जब भी किसी राह पर चलो, मंज़िल की तलाश

 सोचना जरूर, जब भी किसी राह पर चलो,
मंज़िल की तलाश में, कदम संभल कर रखो।
दिल के अरमानों को, यूँ ही बर्बाद न करो,
सोच-समझ कर फैसला, हर इक कदम पर करो।

रिश्तों की नाजुक डोर, संभाल कर पकड़े रहो,
भरोसा एक बार टूटे, तो जुड़ना मुश्किल हो।
हर बात को सोच समझ कर, दिल से अपने कहो,
सोचना जरूर, जब भी किसी राह पर चलो।

©Balwant Mehta
  #sadak