उस पंछी से पूछो.. ये ग़ुलामी की दास्तां, 'उस पंछी से पूछो'। बंद पड़े है पिंजरों में जो कितने बरसो से, उसकी पीड़ा को न समझ पाओगे। जिन्हें भूखा रहना तो है मंज़ूर मगर, आजादी से अपने सपनों को जीना चाहता है। कहीं दूर गगन में अपने पंखो को फिर से पसारना चाहता है। ऐसी ज़िन्दगी भी क्या ज़िन्दगी है, जो किसी की ग़ुलामी में गुज़रे। पल पल मरता है जो , उसके जीने की तड़प 'उस पंछी से पूछो'। ये ग़ुलामी की दास्तां, 'उस पंछी से पूछो' । #ग़ुलामीकीदास्तां #ज़िन्दगीकीक़ीमत #उड़ानकोतरसतेपंख #उसपंछीसेपूछो #मेरीकवितामेरादर्द #suchitapandey उस पंछी से पूछो.. ये ग़ुलामी की दास्तां, 'उस पंछी से पूछो'। बंद पड़े है पिंजरों में जो कितने बरसो से, उसकी पीड़ा को न समझ पाओगे।