ये जो होता है तो होता है, ईश्क का मोल कहां होता है ? ऊंच और नीच, अमीरी _ गरीबी सबकुछ , देखती दुनियां है, ये इश्क कहां सुनता है ।। हुस्न की चाहतों में तो, हर कोई दगा करता है, कोई आशिक़ ही बस सच में वफ़ा करता है । अपने इस दिल को सुजीत, संभाले रखना, गैरों की चीज पर हर कोई नज़र रखता है।। #सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज ©poetsujeet #poetsujeet #सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज