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हाँ मैं देख रही, वक्त, रिश्तों और अपनों का बदलता

हाँ मैं देख रही, 
वक्त, रिश्तों और अपनों का
बदलता रंग। 
हाँ मुझसे कुछ नहीं  छुपा, 
हाँ चुप हूँ मैं सब देखके भी
कि जानती हूँ मैं
आगे का सफर भी, 
कि जाने कितनी मेहनत, 
करनी है, 
जाने कितना इम्तिहान
अभी बाकी है।

©Jyoti Singh
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