मैं, मेरा शब्द से हमेशा परहेज किया आप, आपका शब्द को ही हरदम अपनाया पर भूल गया यह की मैं शब्द का भी उतना ही महत्व था जितना आप शब्द का आदर था ठीक है आप शब्द की अदा हैं निराली पर मैं भी तो कम नहीं है भारी अस्तित्व को मेरे जो वजूद में रखता विश्व जगत के सम्मुख मुझे जो प्रस्तुत करता ऐसे शब्द को ही भूल मैं बैठा तुम, तेरा में ही जीवन बीत रहा मैं का यहां दम जो घुट रहा शब्दकोश की भरी पुस्तक में मैं शब्द कहीं घूम रहा मैं के अस्तित्व की रक्षा मुझको ही तो अब करनी है आप, तुम को साथ लेकर मैं को भी तो संजीवनी देनी है #love_myself #love_yourself #youth #life #poetry