जिस आवाज से डर जाते थे वो शोर चले गये पहली बरसात में नाचने वाले वो मोर चले गये सीधे खाते से उड़ा दिया जाता है माल अब तो ताले तोड़कर चोरी करने वाले वो चोर चले गये मोहब्बत तो अब बस जिस्म भर का तमाशा है लोग थे जब वफ़ा करने वाले वो दौर चले गये वो गयी तो उसकी सहेली का नंबर मिला दिया महताब ताककर रोने वाले वो चकोर चले गये क्यों हर बार उनके सामने सवाल वतन परस्ती का यार जिनको जाना था वो कब के लाहौर चले गये पुकारा मैंने भी था मगर उसका लहजा मीठा था जो मेरे अपने यार थे वो भी उसकी ओर चले गये #daur #lahor #watanparssti #mohabbat #mor