पड़ोस की एक बगिया से फूल ले आया हूँ! माली ने दौड़ाया बहुत,बच बचा कर आया हूँ! इसे बालों में सजा लेना,काँटों से लड़ कर आया हूँ! प्रेम मेरा शायद ये कर दे बयां, उम्मीद यही लाया हूँ! इसकी खुशबू में खो जाओगी तुम,हौसला कमाल लाया हूँ! शरमा कर नजरें झुकनी ही थी,मैं फूल गुलाब लाया हूँ! फूल तुम्हें आये पसंद, पसंद तुम्हारी सखी से पूछ आया हूँ! मैं बस तुम्ही से कर सकूं, कुछ ऐसे सवाल लाया हूँ! हक़ीक़त में जीने की,छोटी से फरियाद लाया हूँ! फूलों सा हौसला,ज़िन्दगी सी तुम, मोह्हबत सा कुछ खास लाया हूँ! बगिया से एक फूल के लिए एक फूल लाया हूँ! ©पूर्वार्थ #पड़ोस #बगिया #फूल