पत्ता पत्ता शज़र से रूठकर टूट गया , लम्हा लम्हा वक्त से रूठकर छूट गया , आबयारी न की माली ने पौधे की कभी, फलते ही फूल वो चुपके से लूट गया । पत्ता पत्ता शज़र से रूठकर टूट गया , लम्हा लम्हा वक्त से रूठकर छूट गया , आबयारी न रखी माली ने पौधे से कभी, फलते ही फूल वो चुपके से लूट गया ।