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#मेरी_रचना #राणाजी माँ की खातिर बढ़ा चला,लगवा के द

#मेरी_रचना
#राणाजी 
माँ की खातिर बढ़ा चला,लगवा के दाँव जवानी को
इतिहासों को झट बदल दिया,लिखा था नई कहानी को

राणा जैसा वीर हुआ,रजवंशी राजपूताने में
जीवन पूरा लगा रहा,शत्रु को सदा झुकाने में

षड्यंत्री नाटक बाजी तो,राणा को ना आती थी
हाथों की तलवार सदा,दुश्मन का खून बहाती थी

चेतक जैसा स्वामी भक्त,ना होना है रजवाड़े  में
लहू फौलादी बहता था,वो कहाँ रहता था बाड़े में

अब मूर्खों को देखो जालिम,प्रश्न उठाते राणा पर
अकबर जिससे डरता था,क्या प्रश्न रहा महाराणा पर

अस्सी किलो के भाले पर,छद्म रूप से बोले है
सामाजिक विद्रोही देखो,धीरे  मुँह को खोले है

जब धरती हो संकट में,राणा से बेटे आने है
खुद के कोख की ताकत को,एक माता ही पहचाने है

मातृभूमि की खातिर प्यारे,दान बलि का लगता है
बलिदान सदा ही देख भाल लो,महाबली का लगता है

उल्टे-सीधे प्रश्न ना करना,वीर धरा के बीजों पर
विश्वास तुम्हारा कौन करेगा,तुम जैसे नाचीजों पर

#जालिम 
#जयमहाराणा 
#प्रताप

©Prashant Sevda #मेरी_रचना 
#मेरी 
#जालिम 
#राणा


#MaharanPratapJayanti
#मेरी_रचना
#राणाजी 
माँ की खातिर बढ़ा चला,लगवा के दाँव जवानी को
इतिहासों को झट बदल दिया,लिखा था नई कहानी को

राणा जैसा वीर हुआ,रजवंशी राजपूताने में
जीवन पूरा लगा रहा,शत्रु को सदा झुकाने में

षड्यंत्री नाटक बाजी तो,राणा को ना आती थी
हाथों की तलवार सदा,दुश्मन का खून बहाती थी

चेतक जैसा स्वामी भक्त,ना होना है रजवाड़े  में
लहू फौलादी बहता था,वो कहाँ रहता था बाड़े में

अब मूर्खों को देखो जालिम,प्रश्न उठाते राणा पर
अकबर जिससे डरता था,क्या प्रश्न रहा महाराणा पर

अस्सी किलो के भाले पर,छद्म रूप से बोले है
सामाजिक विद्रोही देखो,धीरे  मुँह को खोले है

जब धरती हो संकट में,राणा से बेटे आने है
खुद के कोख की ताकत को,एक माता ही पहचाने है

मातृभूमि की खातिर प्यारे,दान बलि का लगता है
बलिदान सदा ही देख भाल लो,महाबली का लगता है

उल्टे-सीधे प्रश्न ना करना,वीर धरा के बीजों पर
विश्वास तुम्हारा कौन करेगा,तुम जैसे नाचीजों पर

#जालिम 
#जयमहाराणा 
#प्रताप

©Prashant Sevda #मेरी_रचना 
#मेरी 
#जालिम 
#राणा


#MaharanPratapJayanti