नदियों के नैहर में जन्मा सागर की मैं आशा हूं पर्वतराज के पांव पर पल कर साहस की परिभाषा हूं शोभा जिसकी फर्न बना हो मैं सावन बारहमासा हूं कौशिकी की नस से होकर बहता हुआ सुधा-सा हूं देवी पूरन की गोद में बस कर हरता रहा निराशा हूं ©संजीव #नैहर #पर्वतराज #परिभाषा #सावन #बारहमासा #mountainday