तेरे इश्क का खुमार चढ़ रहा था , मुझे धीरे-धीरे बुखार चढ़ रहा था ! कैसे दबा करू मै, इश्क की वो तो बुखार से भी तेज चढ़ रहा था ! खुन तो रहा ही नही मुझमे वो इश्क ही तो था , जो मेरी हर एक नशो मे बह रहा था!!!!! अनिकेत!!!! इश्क & बुखार