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बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ए-ज़ार खुल गया मैं आज उसके साम

बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ए-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बेकार खुल गया
- मुनव्वर राणा

©plumber Mangilal Singharia
  शायरी शायरी

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