दाग़ दाग कुछ तवील न होता, मिट जाता तो कमाल होता, आब-ए-चश्म, के कस्र का, अश्फाक न लेता कोई! #sundayalfaz #sabeelahmad #shayari #तन्हा_परिन्दा (तवील-लम्बा,आब-ए-चश्म-आंसू, अश्फाक-सहारा)