रस्ता और गाँव मेरे बचपन की गुंजी किलकारी मेरा एक ऐसा गांव है, सहमा खड़ा वही जिस तक जाता कच्चा रास्ता है। मिट्टी कितनी लगती सौंधी गंध अदभुत बेसुमार है। इस मिट्टी को करके गिली, बनाते हम एक सुंदर मुरत है। अल्फ़ाज़ नहीं ऐसा मनोरम दृश्य है। गुदगुदा देने वाले मजेदार हम दोस्तों के कुछ ऐसे किस्से हैं। इस शहर में वो बात कहां, सुबह सुहानी कर देने वाला मेरा एक ऐसा गांव है। इन दोनों के बीच में सहमा खड़ा एक कच्चा रास्ता है।। #मेरागांव #दिलकीबात #अल्फाज