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जीने मरने की कसमें कहीं और भी पूरी हो सकती थी, तुम

जीने मरने की कसमें कहीं और भी पूरी हो सकती थी,
तुम्हें मेरी ही चाय मिली थी क्या...

©Raj गहलोत
  #कसमें_वादें