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मत रोको ख़ुदको कहदो जो भी कहना है, दो पल की जिंदग

मत रोको ख़ुदको कहदो जो भी कहना है, 
दो पल की जिंदगानी है क्यों चुप रहना है, 
सोचसमझ कर बोलने वाले भी अक्सर दिल दुखाते हैं,
और ख़ामोश रहने वालों पर तो लोग
यूँ भी सवाल उठाते हैं,
सब जानकर भी खामोश रहना गुनाह होता है, 
एक वक्त चला गया फिर सुनने वाला
कोई कहां होता है,
झांको अपने अंदर देखो कितने उमड़ते अल्फाज़ हैं,
आखिर खुलने के लिए ही तो होते राज़ हैं,
फिर क्यूं चुप रहकर सब सहना है, 
कहदो जो भी कहना है, दो पल की जिंदगानी है क्यूं चुप रहना है।

©Rakhie.. "दिल की आवाज़"
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