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मैं हिंदुस्तान की लहर हूँ, लोगों की जिंदगी की डगर

मैं हिंदुस्तान की लहर हूँ,
लोगों की जिंदगी की डगर हूँ,
नजाने कितने राजाओं की सल्तनत हूँ,
और बहुत सी धरोहर की अमानत हूँ,
एक गुमनाम सी गली हूँ,
हर किसी की मंजिल सी हूँ,
हर लड़की की असलियत सी हूँ,
थोड़ी मेहनत सी हूँ,
पर एक सुकून सी हूँ,
और कलम की स्याही सी हूँ।
एक ताजा भोर की धुंद सी हूँ,
और अपने विश्वास के साथ बुलन्द सी हूँ,
सपने नजाने कितने खुद में समेटे हुए है,
उन लोगों को खुद में समेटे हुए हैं,
इस देश में मैं एक क्रांति सी हूँ,
जो सबके अंदर देश भक्ति सी हूँ,
तिरंगे में लिपटी मैं हिंदुस्तान की आरजू हूँ,
और इस हवा में बहता मैं एक नशा सी हूँ,
नवयुवकों का जोश हूँ,
और हमारे देश का होश हूँ,
कुछ लोगों के लिए मस्ती सी हूँ,
गरीबों के लिए सस्ती सी हूँ।
मैं अपने आप में ही इतिहास हूँ,
और सब लोगो के लिए साहस हूँ।।
बस एक पुरानी हवेली सी हूँ,
और नजाने कितने अकेले लोगो की सहेली सी हूँ।
बस ऐसी सुलझी सी पहेली हूँ,
क्योंकि मैं दिल्ली हूँ।। दिल्ली
#दिल्ली #हिन्दी #word #thought #author #poem #poetry
मैं हिंदुस्तान की लहर हूँ,
लोगों की जिंदगी की डगर हूँ,
नजाने कितने राजाओं की सल्तनत हूँ,
और बहुत सी धरोहर की अमानत हूँ,
एक गुमनाम सी गली हूँ,
हर किसी की मंजिल सी हूँ,
हर लड़की की असलियत सी हूँ,
थोड़ी मेहनत सी हूँ,
पर एक सुकून सी हूँ,
और कलम की स्याही सी हूँ।
एक ताजा भोर की धुंद सी हूँ,
और अपने विश्वास के साथ बुलन्द सी हूँ,
सपने नजाने कितने खुद में समेटे हुए है,
उन लोगों को खुद में समेटे हुए हैं,
इस देश में मैं एक क्रांति सी हूँ,
जो सबके अंदर देश भक्ति सी हूँ,
तिरंगे में लिपटी मैं हिंदुस्तान की आरजू हूँ,
और इस हवा में बहता मैं एक नशा सी हूँ,
नवयुवकों का जोश हूँ,
और हमारे देश का होश हूँ,
कुछ लोगों के लिए मस्ती सी हूँ,
गरीबों के लिए सस्ती सी हूँ।
मैं अपने आप में ही इतिहास हूँ,
और सब लोगो के लिए साहस हूँ।।
बस एक पुरानी हवेली सी हूँ,
और नजाने कितने अकेले लोगो की सहेली सी हूँ।
बस ऐसी सुलझी सी पहेली हूँ,
क्योंकि मैं दिल्ली हूँ।। दिल्ली
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