जहाँ भी देखा तुम्हें देखा, हर पुरनूर नजारों में तुम्हें देखा बहारें खुशनुमा हैं, मैंने खुशी की इन बहारों में तुम्हें देखा ज़र्रा-ज़र्रा तुमसे महकता हैं, मैंने हर फूलों में तुम्हें देखा धड़कता दिल एहसास से, मैंने हर एहसास में तुम्हें देखा जन्नत की आरज़ू,मैंने जन्नत को महबूब के कदमों में देखा इश्क़ इबादत, उस से मिलता हैं ख़ुदा, मैंने तुम में देखा ख़्वाब, ख़याल, मुलाक़ात और हर बात में मैंने तुम्हें देखा अश्कों के मोती बरसते , रौशन चाँद सितारों में तुम्हें देखा ♥️ Challenge-598 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।