बंधनों में क्यूं बंधे हो ......... तोड़ दो Jayanti Swain बंधनों मेें क्यों बंधे हो तोड़ दो कर्तव्य पथ से दूरी छोड़ दो भटकती धाराओं के रुख मोड़ दो संगठित हो चलने के लिऐ