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नौवी सिद्धिदात्री जग जानी रूप तुम्हारा बड़ा है मोह

नौवी सिद्धिदात्री जग जानी
रूप तुम्हारा बड़ा है मोहक,
जो देखे वह देखता जाए।
कमल आसन पर बैठी मैया,
चर्तु भुजा वाली बिगडी बनाए।
एक हाथ में गदा तुम्हारे,
दूजे में सुदर्शन धारी हो।
तीजे हाथ में कमल बिराजे,
लगती बड़ी प्यारी हो।
चौथे हाथ में शंख तुम्हारी,
करती शेर सवारी हो।
करती बेड़ा पार भवानी,
सबके कष्ट मिटाती  हो।
सिद्धियां देने वाली मां,
सिद्धिदात्री कहलाती हो।
आदिशक्ति रूप  माँ का,
करूणामई नजर आती हो।
भोले ने भी आठो शक्तियांँ,
मां तुम से ही पाई है।
कृपा आपकी से ही प्रभु,
अर्धनारीश्वर कहलाए।
जलाएं ज्योत आपकी,
कृपा सब पर हो जाए।
 रूप आपका बड़ा मनोहर,
 सिद्ध धात्री माँ आप हैं।
  नव निधि अष्ट सिद्धियों की,
आप ही दातार हैं।
 लक्ष्मी माता आप  भर देती भंडार,
 सरस्वती माता आप बुद्धि दो अपार।
काली रूप बन दुष्टों से बचाती हो।
रूप  मनोहर मन को  हरषाते है।
 तुम्हें मनाते हैं, तेरे ही गुण गाते हैं।
भक्ति अपनी दे दो हमको
 यही वरदान चाहते हैं।
सिद्ध धात्री माँ तुम्हें मनाते हैं।।

©Madhu Arora
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