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उस कांच के गिलास में पड़ी गर्म चाय के दो घूंटो मे

उस कांच के गिलास में पड़ी गर्म चाय के दो
 घूंटो में ही थी और तुम जिंदगी  कहां-कहां
 ढूंढते रहे कार के बंद शीशों से गरीबी छन
 कर दिखाई देती है वो जैसे काला चश्मा 
लगा लेने से सूरज मदम हो जाता है
 न ठीक वैसे... -मिथिलेश बारिया

©VED PRAKASH 73
  #गोल_चबूतरा