दिसम्बर की वो सर्द रात थी ....archu के घर के आस पास लोगो का हुजूम लगने लगा था ....कुछ छुप कर ...कुछ घर के सामने इंतज़ार कर रहे थे उसकी रिहाई का मानो archu की नही उनकी रिहाई होने वाली हैं .....चेहरो पर ख़ुशी ..आँखों में चमक थी सभी के ....एक जश्न का माहौल बनने लगा था ....सभी की नज़रे घर पर गड़ी थी ..कब कोई हलचल हो कोई ख़बर मिले ..वक्त बीतता जा रहा था ...रात से आधी रात हो चुकी थी ...आधी रात से तीसरा पहर.ठंड अपना कहर ढा रही थी और लोग पतली पतली चादर ओढ़े कांपते ठिठुरते वहीं जमा थे कोई वापस नही जाना चाहता था हर शक्स अपने अपने तरीक़े से ईश्वर को मना रहा था ' कि हे ईश्वर अबकी बार सुन लो हमारी बस एक मुराद कर दो पूरी archu की रिहाई ' सारी रात सबने चहलकदमी में गुजार दी ...वो उम्मीद वो चमक खोने लगी ...रात ख़त्म खोने को थी सूर्य देवता भी आसमान में थोड़े थोड़े नज़र आने लगे थे ...सभी निराशा से भरे अपने घरो को लौटने लगे थे ...पर' वो' नही ..उसे विश्वास था की कोई ना कोई ख़बर आयेगी अब ...ईश्वर उन सैकडो लोगो के साथ नाइंसाफी नही करेंगे ...और उसके विश्वास की जीत हुई .... archu के उस आलीशान घर में हलचल होने लगी ....सामने का दरवाज़ा खुला और क़रीब तीस बरस की एक महिला बाहर आई ...चेहरे पर चमक लिये ...वो काम करती थी वहां ...आँखों ही आँखों में उसने बाहर जो चंद लोग थे उन्हें खुशखबरी दी ....वो रिहा हो गईं ... #nojoto #stories #हिन्दी#life