ज़ोरों शोरों से चल रहा जुए सट्टे का प्रचार प्रसार ! सारी नैतिकता भुला, जुटे हैं नामचीन कलाकार !! एक ही बात बार बार सुने तो कब तक बचा रहे मन ! किसी दिन तो चक्कर में फंसेगा युवा-तरुण-बचपन !! क्रिकेट के खेल के साथ भी हो रहा खेल ! सट्टेबाजों का खिलाडियों से छ्द्म तालमेल !! खिलाडियों की बोली सरेआम लगती है ! खेल कला भी अब थैली पे थिरकती है !! सोशल मीडिया में सजा है गुमराही का बाजार ! सोशल नाम का ये माध्यम भी अब न रहा हक़दार !! दो मिनट की बात कहने में वीडियो लगाते नौ मिनट ! हमारे अनमोल समय को भी दिनरात कर रहे नष्ट !! समाज से रहा ही नहीं किसी को कोई सरोकार ! नेताओं की क्या कहें अब बैरी हो चले पत्रकार !! कवियों की कलम में भी हँसी मज़ाक ही भरा दिखता है ! कलमकार भी आज-कल वही लिखता है जो बिकता है !! सरस्वती पुत्रों के ही जिम्मे है समाज़ को दिशा देना ! अफ़सोस कलम को भी समाज से न रहा लेना देना !! बड़े बड़े कविराज भी सत्ता की बीन बजाते हैं ! कहने भर को ही कहते, सच परोसना चाहते हैं !! सच की समझ के लिये मन मस्तिष्क तरोताजा चाहिये ! घूंट पे घूंट चढ़ाये जाने पर ताजगी कहाँ से जुटा पाईये !! अपने ही भाईबंदों को आईना दिखाने की जुर्रत हुई है ! सच परोसने की जिम्मेदारी तहत ये पंक्तियाँ उभरी है !! कलम आह्वान करती है सभी कलाकारों पत्रकारों से ! लौट आइये सच के प्रांगण में चकाचौंधी गलियारों से !! - आवेश हिंदुस्तानी 12.02.2023 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanMannKiBaat #Gambling #poetsofindia #Journalist