इस भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में चाहो सबकुछ समेटना पर कुछ ना कुछ शिकायतें तो रह ही जाती हैं, कभी शिकायतें खुद से होती हैं कभी दूसरों से, इन सब में निकल जाती हैं जिंदगी हमारी, व्यस्तता की जिंदगी से मुक्त जब होते हैं, खुद के लिए तब बहुत दुःख शेष रह जाता हैं, इस भाग-दौड़ में खुद को खो देते हैं और अपनों को भी, ऐसा कोई साथी मुश्किल से होता हैं, जो इस भाग-दौड़ से दूर भी साथ निभाता हैं, तब ही इंसान को अपनों का महत्व समझ आता हैं, फिर पछताने से होता भी क्या समय तो बीत चुका होता हैं। ©Priya Gour भाग-दौड़ #Twowords #28June 6:25