खिड़कियो से झाँकती हुई मैं, खेलते बच्चो को देख गली में, उनमे अपनी बचपन निंगहार रही थी, उन्हें एक दूसरे से लड़ते देख खुद को उनमे ढाल रही थी,बड़ी हो गयी हु अब, बचपन की यादों को उनकी खेल में तलाश रही थी,बच्चो को खेलता देख गली में,खुद को उनकी खेल में ढाल रही थी। जवानी को नज़रअंदाज़ कर मैं बचपन के सपने पाल रही थी। #bachpankesapne#galikakhel#wopyarasakhel#quotesinhindi#bachpankiyaade