आजाद है मुल्क अक्षरों को बेबाक रहने देना, घुटें न कोई अल्फाज, तुम हवा बहने देना... शान लेकर घूमते हैं मर्ज़ के मारें, ज़हर की डिब्बियों में जरा दवा रहने देना... अब निगाहों पर भरोसा है नहीं बाकी, कुछ याद हैं हसीं, उसे जवां रहने देना... आदर्श है बरसों पुराने पीढ़ियों को पोषते, इस कलम की पीठ पर कारवां रहने देना... आजाद है मुल्क अक्षरों को बेबाक रहने देना,