सुबह हो गई क्या अंधेरा ढल गया क्या चेहरे पे झूठी मुस्कान ले आऊं आसपास भीड़ बड़ गई क्या उजाले में दर्द को छिपाना भी तो है खुशियों का मुखौटा चेहरे पे पहन लुं क्या यादवेन्द्र रामपाल #vacation #यादवेन्द्र#रामपाल #यादवेन्द्र #रामपाल