चलो फिर ढूंढ लाये हम उसी मासूम बचपन को, जहाँ सपना सजाया था,जहाँ बचपन बिताया था; जहाँ पेड़ो के साये में,घरौंदा एक बनाया था..... " देवदास 2002" देवदास 2002