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जानता हू नदी झरने जो मुझे थें पार करने कर चुका हू

जानता हू नदी झरने जो मुझे थें पार करने 
कर चुका हूं हंस रहा ये देख कोई  नही भेला।।

मैं अकेला!!
मैं अकेला ...
मैं अकेला...
मैं अकेला।।।
देखता हूं  आ रही मेरे दिवस की सांध्य बेला।।

                                   सूर्यकांत त्रिपाठी निराला✍️✍️

©Rampal Yadav
  मैं अकेला।।#हिंदी कविता।।
#सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।।
#कविता #हिंदी
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Rampal Yadav

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मैं अकेला।।#हिंदी कविता।। #सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।। #कविता #हिंदी

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