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“भंवर” मैं खुद को ऐसे आजमाता हूं चोट खा खा कर

“भंवर”
मैं  खुद को  ऐसे आजमाता  हूं
चोट  खा खा कर  मुस्कुराता हूं

मेरी आंखों में दिन निकलता है
रात   को  कहकशाँ  बनाता  हूं

मैं मुश्किलों में हंसना जानता हूं

“भंवर” मैं खुद को ऐसे आजमाता हूं चोट खा खा कर मुस्कुराता हूं मेरी आंखों में दिन निकलता है रात को कहकशाँ बनाता हूं मैं मुश्किलों में हंसना जानता हूं #शायरी #विनय_आजाद #writervinayazad

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