मेरी कल्पना मेरा मन हो तुम, मेरा तन हो तुम । मेरा गुरूर हो तुम, मेरा श्रृंगार हो तुम । मेरा वजूद हो तुम, मेरा उपन्यास हो तुम ।। मेरा कर्म तू ही, मेरा धर्म तू ही । मेरा चैन तू ही, मेरा मान तू ही । मेरा ध्यान तू ही, मेरा अभिमान तू ही ।। मेरी प्यास हो तुम, मेरी सांस हो तुम । मेरी तस्वीर हो तुम, मेरी तलब हो तुम । न जाने कौन हो तुम पर अब सुबह का पहला, और रात का आखरी ख्वाब हो तुम ।। —शिवांगी रतूड़ी #मेरी_कल्पना #शिवांगी_रतूड़ी