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मेरी कल्पना मेरा मन हो तुम, मेरा तन हो तुम । मेरा

मेरी कल्पना

मेरा मन हो तुम, मेरा तन हो तुम ।
मेरा गुरूर हो तुम, मेरा श्रृंगार हो तुम ।
मेरा वजूद हो तुम, मेरा उपन्यास हो तुम ।।

मेरा कर्म तू ही, मेरा धर्म तू ही ।
मेरा चैन तू ही, मेरा मान तू ही ।
मेरा ध्यान तू ही, मेरा अभिमान तू ही ।।

मेरी प्यास हो तुम, मेरी सांस हो तुम ।
मेरी तस्वीर हो तुम, मेरी तलब हो तुम ।
न जाने कौन हो तुम
पर अब सुबह का पहला,
और रात का आखरी ख्वाब हो तुम ।।

                            —शिवांगी रतूड़ी #मेरी_कल्पना
#शिवांगी_रतूड़ी
मेरी कल्पना

मेरा मन हो तुम, मेरा तन हो तुम ।
मेरा गुरूर हो तुम, मेरा श्रृंगार हो तुम ।
मेरा वजूद हो तुम, मेरा उपन्यास हो तुम ।।

मेरा कर्म तू ही, मेरा धर्म तू ही ।
मेरा चैन तू ही, मेरा मान तू ही ।
मेरा ध्यान तू ही, मेरा अभिमान तू ही ।।

मेरी प्यास हो तुम, मेरी सांस हो तुम ।
मेरी तस्वीर हो तुम, मेरी तलब हो तुम ।
न जाने कौन हो तुम
पर अब सुबह का पहला,
और रात का आखरी ख्वाब हो तुम ।।

                            —शिवांगी रतूड़ी #मेरी_कल्पना
#शिवांगी_रतूड़ी