मौसम की रवानी, याद दिला दी बीते दिनों की जवानी, सर्द,गर्म,पतझड़ बहार,प्रत्येक ऋतुओं की अपनी कहानी, अनुभवी अनुभावक से सुनते हैं उनके मुख उन्हीं की जुबानी, सर्द पूस की रात याद दिलाये,कोई कालीन में दुबके कोई ठिठुराये, गर्म लू धधक कर कलेजा जलाती जाए,कई तकनीकी के लुफ़्त उठाये, वसन्त बहार नई कोपलों को सजाये,पुराने पत्तों को पतझड़ ले जाये। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-60 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।