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रुको, अपनी इन ज़ुल्फो को ना खोलो वरना शाम हो जाएग

रुको, अपनी इन ज़ुल्फो को ना खोलो  वरना शाम हो जाएगी
‘अभी’,
तुम्हारे माथे पे उमड़े तेज के धूप की तपिश में तपना बाकी है  ‘अभी’।

~हेमंत राय। #nojoto #Aawaaz #कविता #जुल्फ़े
#Hope #shayari
रुको, अपनी इन ज़ुल्फो को ना खोलो  वरना शाम हो जाएगी
‘अभी’,
तुम्हारे माथे पे उमड़े तेज के धूप की तपिश में तपना बाकी है  ‘अभी’।

~हेमंत राय। #nojoto #Aawaaz #कविता #जुल्फ़े
#Hope #shayari
hemantrai5331

Hemant Rai

Bronze Star
New Creator