समय है चुनाव का, कई नाम सुनाई देता है, कहीं राम सुनाई देता है, मजहब के नाम पर कहीं, धड़ाम सुनाई देता है। कोई इसको बदनाम किया हुआ अपने बदनाम कभी फिर मिले पार्टी किया भूल चूक अब माफ सभी कभी नेता, अभिनेता कहीं श्याम सुनाई देता है इंसानियत के नाम पर कहीं भ्रष्ट काम सुनाई देता है। भ्रष्ट अपना आचार किया दुसरों को नसीहत देता है कभी ये न किया कभी वो न किया कुछ भी नहीं करनें देता है कभी धर्म कभी जाति कहीं बाट काम सुनाई देता है बेरोजगारी के नाम पर भ्रष्टाचार सुनाई देता है।। #भ्रष्टाचार #समय है #चुनाव का, कई #नाम #सुनाई देता है, कहीं #राम सुनाई देता है, #मजहब के नाम पर कहीं, #धड़ाम सुनाई देता है।