प्रेम को लेकर सबका अपना-अपना दृष्टिकोण हो सकता है।कोई अपनी प्रेयसी को अपनी अपनी पलकों पर विराजमान करने का स्वप्न देखता है तो कोई प्रेयसी अपने प्रियतम को।और इस सदृश स्वप्न का दीदार जागती आँखों से करना कोई खता भी नहीं है।किन्तु मेरी विचारधारा ज़रा इसके विपरित भ्रमण करती है।मैं सदैव ये सोचता हूँ कि मैं "माँ" को अपनी पलकों पर विशेष स्थान देता रहूँ।हालांकि दोनों नातों में अत्याधिक अन्तराल है,दोनों की महता अपने-अपने स्थान पर है फिर भी "माँ" सर्वोपरि आनी चाहिए।मैं इस बात का समर्थन करता हूँ कि जहाँ "माँ" जैसे देवी तुल्य रिश्ते को सम्मान और प्रेम मिलता है वहाँ पर अन्य सम्बन्धों को भी स्वभाविक रूप से प्यार और इज़्जत प्राप्त होती है।ये मेरा निजि मत है और मैं ये नहीं कहता कि इस सदृश कोई और मेरे विचारों से इत्तफाक रखता हो!"माँ" की ऊँगलियां हम सब के लिये प्रेरणा स्त्रोत होती हैं।इन्हीं ऊँगलियों को पकड़कर हम चलने का चलन प्रारम्भ करते हैं।लेकिन एक समय ऐसा भी आता है कि जब "माँ" की इन्हीं ऊँगलियों को हमारे हाथ और जज़्बात भरे साथ की दरकार रहती है,यही वो लम्हे होते हैं जब इनको पलकों पर बिठाया जा सकता है। #nojotohindi#MeriKalamSeRajSargam#माँ#जीवनरेखा#सम्मान